2 Line Shayari लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
2 Line Shayari लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

जो तार से निकली है वो.........

जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है 
जो साज पे गुजरी है। ........ किसी को पता नहीं 

तेरी शर्तों पे ही करना है अग.......

तेरी शर्तों पे ही करना  है अगर तुझको क़बूल 
ये सहूलियत तो मुझे सारा जहाँ देता है 


मेरा हाल-ए-दिल फिर मेरे ..........

मेरा हाल-ए-दिल फिर मेरे दिल में रह गया 
एक कागज़ पे लिखा था बरसात में भीग गया 



अजीब अँधेरा है अये इश्क़........

अजीब अँधेरा है अये इश्क़ तेरी महफ़िल में 
किसी ने दिल भी जलाया तो रौशनी न हुई 


कभी तो पढ़ने आओ मेरी.............

कभी तो पढ़ने आओ मेरी तहरीरों को जालिम
मैं शायरी नहीं तेरे दिए हुए दर्द लिखता हूँ


सामने है जो उसको लोग............

सामने है जो उसको लोग बुरा कहते हैं 
जिसको देखा ही नहीं उसको खुदा कहते हैं 

( मिर्ज़ा ग़ालिब )

फिर न इन्तिज़ार में नींद........

फिर न इन्तिज़ार में नींद आयी उम्र भर 
आने का अहद कर गया,आये जो ख्वाब में

(मिर्ज़ा ग़ालिब)

इतने खूबसूरत तो नहीं हैं .....

इतने खूबसूरत तो नहीं हैं जानेमन हाँ मगर 
जिसे आँख भर कर देखलें उसे उलझन में डाल देते हैं 

हम इन्तिजार करेंगे तेरा क़यामत तक

हम इन्तिजार करेंगे तेरा क़यामत तक 
खुदा करे क़यामत हो और तू आये 

पजबूरियों के नाम पे दामन बचा गये वो लोग

पजबूरियों के नाम पे दामन बचा गये वो लोग 
जिसने प्यार में दावा वफ़ा का क्या था। 

बसा के खुद को मेरी आँख में कहाँ चले तुम

बसा के खुद को मेरी आँख में कहाँ चले तुम
ये शहर-ए-इश्क़ यहाँ हिज़रत की इजाजत 


चले जायेंगे अनक़रीब तुझे तेरे हाल पे छोड़ कर

चले जायेंगे अनक़रीब तुझे तेरे हाल पे छोड़ कर 
क़दर क्या होती है तुझे वक़्त ही सिखा देगा