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बात करनी मुश्किल कभी ऐसी तो न थी....

बात करनी मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी

ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-वो-क़रार
बे-क़रार तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी

तेरी आँखों में खुदा जाने क्या-क्या जादू 
की तबियत मेरी मयाल कभी ऐसी तो न थी


हम न उस टोली में थे यारों न उस टोली में थे

हम न उस टोली में थे यारों न उस टोली में थे 
न किसी जेब में थे न किसी झोली में थे 

बंदा परोर सिर्फ नज़ारे पे कदगन किस लिए 
फूल फल जो बाग़ के थे आपकी झोली में थे 

आपके नारों में ललकारों में कैसे आएंगे 
जमजमे जो इन कहीं एक प्यार की बोली में थे 

फिर किसी कूफ़े में तन्हा है इब्ने अक़ील 
उसके साथी सब के सब सरकार की टोली में थे