हम न उस टोली में थे यारों न उस टोली में थे
न किसी जेब में थे न किसी झोली में थे
बंदा परोर सिर्फ नज़ारे पे कदगन किस लिए
फूल फल जो बाग़ के थे आपकी झोली में थे
आपके नारों में ललकारों में कैसे आएंगे
जमजमे जो इन कहीं एक प्यार की बोली में थे
फिर किसी कूफ़े में तन्हा है इब्ने अक़ील
उसके साथी सब के सब सरकार की टोली में थे