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हर किसी से मोहब्बत करना हमारी.......

हर किसी से मोहब्बत करना हमारी फितरत में नहीं है 
पर जब किसी से हो जाती है ज़िन्दगी वार देते है  


बात करनी मुश्किल कभी ऐसी तो न थी....

बात करनी मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी

ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-वो-क़रार
बे-क़रार तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी

तेरी आँखों में खुदा जाने क्या-क्या जादू 
की तबियत मेरी मयाल कभी ऐसी तो न थी


कभी तो पढ़ने आओ मेरी.............

कभी तो पढ़ने आओ मेरी तहरीरों को जालिम
मैं शायरी नहीं तेरे दिए हुए दर्द लिखता हूँ


उदास रातों में तेज काफी की तल्खियों में

उदास रातों में तेज काफी की तल्खियों में 
वो कुछ ज्यादा ही याद आते हैं सर्दियों में 

मुझे इज़ाज़त नहीं है उसको पुकारने की 
जो गूंजता है लहू में सीने की धड़कानो में 

वो बछ्पना जो उदास राहों में खो गया था 
में ढूंढता हूँ उसे तुम्हारी शरारतों में 

उसे दिलासे तो दे रहा हूँ मगर ये सच है 
कहीं कोई खौफ बढ़ रहा है तसल्लियों में 

तुम अपने पोरों से जाने क्या लिख गए थे जाना 
चराग रोसन है अब भी मेरी हथेलियों में

जो तू नहीं है तो ये मुकम्मल न हो सकेगी 
तेरी यही अहमियत है मेरी कहानियों में 

मुझे यकीं है वो थाम लेगा भ्रम रखे गा 
ये मान है तो दिए जलाये हैं आँधियों में 

हर एक मौसम में रौशनी से बिखेरते हैं 
तुम्हारे गम के चराग मेरी आँधियों में 


इतने खूबसूरत तो नहीं हैं .....

इतने खूबसूरत तो नहीं हैं जानेमन हाँ मगर 
जिसे आँख भर कर देखलें उसे उलझन में डाल देते हैं 

सितम सिखलाए गा रसम वफ़ा ऐसे नहीं होता

सितम सिखलाए गा  रसम वफ़ा ऐसे नहीं होता 
सनम दिखलायें गे राह खुदा ऐसे नहीं होता 
गिनो सब हसरतें जो खूं हुई हैं तन के मक़्तल में 
मेरे कातिल हिसाब खूँ बहा ऐसे नहीं होता 
जहाँ दिल में काम आती हैं तदबीरें न तज़ीरें 
यहाँ पैमान तस्लीम व रज़ा ऐसे नहीं होता 
हर एक सब हर घडी गुज़रे क़यामत यूँ तो होता है 
मगर हर सुबह हर रोज़ जजा ऐसे नहीं आती 
रवां है नब्ज दौराँ गर्दिशों में आसमान सारे 
जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका ऐसे नहीं होता 

जान तक करदी फ़िदा लेकिन सिला कुछ भी नहीं

जान तक करदी फ़िदा लेकिन सिला कुछ भी नहीं 
आपकी नज़रों में क्या मेरी वफ़ा कुछ  भी नहीं 

छीन ली खुशियां मेरी आँखों से मेरी नींद भी 
ज़िन्दगी तू ने मुझे अब तक दिया कुछ भी नहीं 

सैंकड़ों मुझ पर सितम करता रहा वो उम्र भर 
फिर भी मैं ने आज तक उससे कहा कुछ भी नहीं 

दे रहे गालियां या फिर दुआएं मुझको आप
क्या कहूं अब आपसे मैं ने सुना कुछ भी नहीं 

आपकी बातों में आकर खो दिया दिलका सुकूं 
ज़िन्दगी में देखिए मेरी बचा कुछ भी नहीं