जान तक करदी फ़िदा लेकिन सिला कुछ भी नहीं
आपकी नज़रों में क्या मेरी वफ़ा कुछ भी नहीं
छीन ली खुशियां मेरी आँखों से मेरी नींद भी
ज़िन्दगी तू ने मुझे अब तक दिया कुछ भी नहीं
सैंकड़ों मुझ पर सितम करता रहा वो उम्र भर
फिर भी मैं ने आज तक उससे कहा कुछ भी नहीं
दे रहे गालियां या फिर दुआएं मुझको आप
क्या कहूं अब आपसे मैं ने सुना कुछ भी नहीं
आपकी बातों में आकर खो दिया दिलका सुकूं
ज़िन्दगी में देखिए मेरी बचा कुछ भी नहीं