Dard Shayari लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Dard Shayari लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

जो तार से निकली है वो.........

जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है 
जो साज पे गुजरी है। ........ किसी को पता नहीं 

तेरी शर्तों पे ही करना है अग.......

तेरी शर्तों पे ही करना  है अगर तुझको क़बूल 
ये सहूलियत तो मुझे सारा जहाँ देता है 


मेरा हाल-ए-दिल फिर मेरे ..........

मेरा हाल-ए-दिल फिर मेरे दिल में रह गया 
एक कागज़ पे लिखा था बरसात में भीग गया 



अजीब अँधेरा है अये इश्क़........

अजीब अँधेरा है अये इश्क़ तेरी महफ़िल में 
किसी ने दिल भी जलाया तो रौशनी न हुई 


कभी तो पढ़ने आओ मेरी.............

कभी तो पढ़ने आओ मेरी तहरीरों को जालिम
मैं शायरी नहीं तेरे दिए हुए दर्द लिखता हूँ


पजबूरियों के नाम पे दामन बचा गये वो लोग

पजबूरियों के नाम पे दामन बचा गये वो लोग 
जिसने प्यार में दावा वफ़ा का क्या था। 

दौर-ए-आगाज जफ़ा दिल का सहारा निकला

दौर-ए-आगाज जफ़ा दिल का सहारा निकला 
हौसला कुछ न हमारा न तुम्हारा निकला 

तेरा नाम आते ही सकती का था आलम मुझ पर 
जाने किस तरह ये मज्कूर दोबारह निकला 

होश जाता है जिगर जाता है दिल जाता है 
परदे ही परदे में क्या तेरा इसारा निकला 

है तेरे कश्फ़ व करामात की दुनिया क़ायल 
तुझसे ऐ दिल न मगर काम हमारा निकला 

कितने सफाक सर क़त्ल गह आलिम थे 
लाखों में बस वही अल्लाह का प्यारा निकला 

इबरत अंगेज है क्या इस की जवां मर गी भी 
हाय वो दिल जो हमारा न तुम्हारा निकला 

इश्क़ की लू से फरिश्तों के भी पर जलते हैं 
रश्क खुर्शीद क़यामत ये शरारा निकला 

सर-ब-सर बे सर व समां जिसे समझे थे वह दिल 
रश्क  जमशीद व के व खुसरो व डरा निकला 

अक़्ल की लो से फरिश्तों के भी पर जलते हैं 
रश्क खुर्शीद क़यामत ये शरारा निकला 

रोने वाले हुए चुप हिज़्र की दुनिया बदली 
शमां बे नूर हुई सुबह का तारा निकला 

उँगलियाँ उठें फ़िराक़ वतन आवारा पर 
आज जिस सम्त से वो दर्द का मारा निकला 

जान तक करदी फ़िदा लेकिन सिला कुछ भी नहीं

जान तक करदी फ़िदा लेकिन सिला कुछ भी नहीं 
आपकी नज़रों में क्या मेरी वफ़ा कुछ  भी नहीं 

छीन ली खुशियां मेरी आँखों से मेरी नींद भी 
ज़िन्दगी तू ने मुझे अब तक दिया कुछ भी नहीं 

सैंकड़ों मुझ पर सितम करता रहा वो उम्र भर 
फिर भी मैं ने आज तक उससे कहा कुछ भी नहीं 

दे रहे गालियां या फिर दुआएं मुझको आप
क्या कहूं अब आपसे मैं ने सुना कुछ भी नहीं 

आपकी बातों में आकर खो दिया दिलका सुकूं 
ज़िन्दगी में देखिए मेरी बचा कुछ भी नहीं