जो तार से निकली है वो.........

जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है 
जो साज पे गुजरी है। ........ किसी को पता नहीं 

हर किसी से मोहब्बत करना हमारी.......

हर किसी से मोहब्बत करना हमारी फितरत में नहीं है 
पर जब किसी से हो जाती है ज़िन्दगी वार देते है  


तेरी शर्तों पे ही करना है अग.......

तेरी शर्तों पे ही करना  है अगर तुझको क़बूल 
ये सहूलियत तो मुझे सारा जहाँ देता है 


मेरा हाल-ए-दिल फिर मेरे ..........

मेरा हाल-ए-दिल फिर मेरे दिल में रह गया 
एक कागज़ पे लिखा था बरसात में भीग गया 



अजीब अँधेरा है अये इश्क़........

अजीब अँधेरा है अये इश्क़ तेरी महफ़िल में 
किसी ने दिल भी जलाया तो रौशनी न हुई 


बात करनी मुश्किल कभी ऐसी तो न थी....

बात करनी मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी

ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-वो-क़रार
बे-क़रार तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी

तेरी आँखों में खुदा जाने क्या-क्या जादू 
की तबियत मेरी मयाल कभी ऐसी तो न थी


कभी तो पढ़ने आओ मेरी.............

कभी तो पढ़ने आओ मेरी तहरीरों को जालिम
मैं शायरी नहीं तेरे दिए हुए दर्द लिखता हूँ