urdu,hindi shayari, romantic shayari, love shayari, drard, shayari, dosti shayari, bewafa shayari, raaz shayari,sharab shayari, raat shayari,
सितम सिखलाए गा रसम वफ़ा ऐसे नहीं होता
सितम सिखलाए गा रसम वफ़ा ऐसे नहीं होता
सनम दिखलायें गे राह खुदा ऐसे नहीं होता
गिनो सब हसरतें जो खूं हुई हैं तन के मक़्तल में
मेरे कातिल हिसाब खूँ बहा ऐसे नहीं होता
जहाँ दिल में काम आती हैं तदबीरें न तज़ीरें
यहाँ पैमान तस्लीम व रज़ा ऐसे नहीं होता
हर एक सब हर घडी गुज़रे क़यामत यूँ तो होता है
मगर हर सुबह हर रोज़ जजा ऐसे नहीं आती
रवां है नब्ज दौराँ गर्दिशों में आसमान सारे
जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका ऐसे नहीं होता
दौर-ए-आगाज जफ़ा दिल का सहारा निकला
दौर-ए-आगाज जफ़ा दिल का सहारा निकला
हौसला कुछ न हमारा न तुम्हारा निकला
तेरा नाम आते ही सकती का था आलम मुझ पर
जाने किस तरह ये मज्कूर दोबारह निकला
होश जाता है जिगर जाता है दिल जाता है
परदे ही परदे में क्या तेरा इसारा निकला
है तेरे कश्फ़ व करामात की दुनिया क़ायल
तुझसे ऐ दिल न मगर काम हमारा निकला
कितने सफाक सर क़त्ल गह आलिम थे
लाखों में बस वही अल्लाह का प्यारा निकला
इबरत अंगेज है क्या इस की जवां मर गी भी
हाय वो दिल जो हमारा न तुम्हारा निकला
इश्क़ की लू से फरिश्तों के भी पर जलते हैं
रश्क खुर्शीद क़यामत ये शरारा निकला
सर-ब-सर बे सर व समां जिसे समझे थे वह दिल
रश्क जमशीद व के व खुसरो व डरा निकला
अक़्ल की लो से फरिश्तों के भी पर जलते हैं
रश्क खुर्शीद क़यामत ये शरारा निकला
रोने वाले हुए चुप हिज़्र की दुनिया बदली
शमां बे नूर हुई सुबह का तारा निकला
उँगलियाँ उठें फ़िराक़ वतन आवारा पर
आज जिस सम्त से वो दर्द का मारा निकला
अंधेरे लाख छा जाएँ उजाले काम नहीं होता
अंधेरे लाख छा जाएँ उजाले काम नहीं होता
चराग आरज़ू जल कर कभी मदहम नहीं होता
मसीहा वो न हों तो दर्द उल्फत काम नहीं होता
ये ज़ख़्म इश्क़ है इस ज़ख्म का मरहम नहीं होता
गम जानां को जान जाँ बना ले देख दीवाने
गम जानां से बढ़कर कोई गम नहीं होता
तलब बनकर मेरी हर दम वो मेरे साथ रहते हैं
कभी तन्हा मेरी तन्हाई का आलम नहीं रहता
तुम्हारा आस्ताना छोड़कर आखिर कहाँ जाऊं
दुनियां है दर्द-ए -दिल तुम ने वो दिल से कम नहीं होता
मेरा तन मन जला कर तुमने जालिम खाक कर डाला
मगर ए सोज उल्फत तेरा सअाला काम नहीं होता
तेरे दर से इतनी मोहब्बत हो गई जाना
तेरे दर के अलावा सर कहीं भी ख़म नहीं होता
बदलती ही नहीं किस्मत मोहब्बत करने वालों की
तसव्वुर यार का जब तक फ़ना पैहम नहीं होता
समझ लीजिये की जज्ब दिल में है कोई कमी बाकी
अगर दीदार उनका इश्क़ में हर दम नहीं होता
फिर कभी ये खता नहीं करना
फिर कभी ये खता नहीं करना
सबसे हंसकर मिला नहीं करना
तुम मेरे वास्ते कभी ऐ दोस्त
ज़िन्दगी की दुआ नहीं करना
दर व दीवार रुलाते हैं
घर में तन्हां रहा नहीं करना
दिल की तस्वीर खत में रख देना
बात दिल की लिखा नहीं करना
मैं हूँ इंसा बेहक भी सकता हूँ
मुझे तनहा मिला नहीं करना
अपनी हद में रहा करो फिरदोस
हद से आगे बढ़ा नहीं करना
जान तक करदी फ़िदा लेकिन सिला कुछ भी नहीं
जान तक करदी फ़िदा लेकिन सिला कुछ भी नहीं
आपकी नज़रों में क्या मेरी वफ़ा कुछ भी नहीं
छीन ली खुशियां मेरी आँखों से मेरी नींद भी
ज़िन्दगी तू ने मुझे अब तक दिया कुछ भी नहीं
सैंकड़ों मुझ पर सितम करता रहा वो उम्र भर
फिर भी मैं ने आज तक उससे कहा कुछ भी नहीं
दे रहे गालियां या फिर दुआएं मुझको आप
क्या कहूं अब आपसे मैं ने सुना कुछ भी नहीं
आपकी बातों में आकर खो दिया दिलका सुकूं
ज़िन्दगी में देखिए मेरी बचा कुछ भी नहीं
हम न उस टोली में थे यारों न उस टोली में थे
हम न उस टोली में थे यारों न उस टोली में थे
न किसी जेब में थे न किसी झोली में थे
बंदा परोर सिर्फ नज़ारे पे कदगन किस लिए
फूल फल जो बाग़ के थे आपकी झोली में थे
आपके नारों में ललकारों में कैसे आएंगे
जमजमे जो इन कहीं एक प्यार की बोली में थे
फिर किसी कूफ़े में तन्हा है इब्ने अक़ील
उसके साथी सब के सब सरकार की टोली में थे
सदस्यता लें
संदेश (Atom)